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बाबा सावन सिंह जी (शाकाहारी), जिन्हें हजूर महाराज या "महान मास्टर" के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक समर्पित साधक और प्रबुद्ध मास्टर थे। छोटी उम्र से ही, वे अपने पिता के माध्यम से अपने समय के पवित्र पुरुषों से परिचित हो गये थे। अपनी युवावस्था के दौरान, उन्होंने कई भाषाओं में लिखे आध्यात्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया: पंजाबी, हिंदी, उर्दू, अंग्रेजी और फारसी। बाद में, जब वे सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करने में लगे रहे, तो बाबा सावन सिंह जी को पता चला कि उनकी एकमात्र सच्ची प्रेरणा ईश्वर के प्रति लालसा थी। अंततः, उन्हें प्रबुद्ध मास्टर बाबा जयमल सिंह (शाकाहारी) के पास ले जाया गया। बाबा जयमल सिंह के निधन के बाद, बाबा सावन सिंह जी उत्तर भारत में स्थापित संगठन राधा स्वामी सत्संग ब्यास के दूसरे सतगुरु बने। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने विश्व भर से लगभग 150,000 लोगों को, जो उस समय के इतिहास में सबसे बड़ी संख्या थी, आंतरिक स्वर्गीय प्रकाश और ध्वनि की आध्यात्मिक साधना में दीक्षित किया। इस प्रकार, उन्होंने ईश्वर प्राप्ति का प्रकाश विश्व के सभी कोनों में फैलाया।