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मेरे प्रिय, मैं आपके लिए ला रही हूँ, एक चन्द्र कैक्टस क्या यह उसकी मीठी खुशबू थी या आपके सुगंधित होंठ? आप मेरी पीठ पर खिलखिलाती हंसी के साथ मुझे कुछ स्नेह दे रहे हो। रात दर रात धीमे चुम्बनों से उदास चाँदनी रात वाले बगीचे में नाजुक पंखुड़ियाँ बस मुड़ी हुई।